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शत्रुशमनार्थ बगलामुखी मंत्र ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भयं जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा । प्रत्येक धन की इन्हें पीताम्बरा भी कहते हैं। इसका जप, अनुष्ठान कोरे वस्त्र, पीले रंग में रंगकर धारण करना चाहिये। पूजनोपरान्त वस्त्रों को धोकर सुखा देना चाहिये, जप हरिद्रा (हल्दी की) माला से करना चाहिये। अनुष्ठान में सवालक्ष जप तथा दशांश हवन करना चाहिये। यदि दशांश हवन न कर सकें तो जप संख्या बढ़ा देनी चाहिये। इसके हवन में नीम अथवा वैर की समिधा (लकड़ी) तथा चम्पा के फूल से हवन करें तो प्रबल शत्रु का शमन होता है। शत्रु परास्त हों, कोर्ट, कचहरी से मुक्ति और शत्रु पर विजय निश्चित मिलती है। त्रिमधु (शर्करा, मधु और घी) तिल से हवन करने से राजा वश में होता है और त्रिमधु व लवण से हवन करने पर आकर्षण होता है। तैल व नीम की पत्ती से विद्वेषण होता है। हरताल, लवण व हरिद्रा (हल्दी) से हवन करने पर शत्रुस्तम्भन होता है। गिद्ध, काक पक्ष (पंखों) से सरसों के तेल के साथ भिलावा से चिताग्नि में हवन करें तो शत्रु उच्चाटन होता है। दूर्वा, गुर्च, लाजा, त्रिमधु से हवन करें तो रोगों का नाश होता है। इसी तरह इसमें सैकड़ों प्रयोग हैं।अधिक जानकारी के लिए एस्ट्रो गुरु कृपा मुकेश शास्त्री से संपर्क करें
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