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: पुत्रपद संतान गोपाल मंत्र ॐ क्लीं देवकीसुतगोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः क्लीं ॐ ॥ इस मंत्र से नक्षत्र और खेड-पंचामृत, कमलगट्टा, जीरा, वैजयंती, शतावरी से दशांश गृह, तर्पण और मार्जनादि का पुरश्चरण करें तथा उपयुक्त 12 ब्राह्मणों को भोजन आदि का आशीर्वाद लें। पुराणोक्त हरिवंश पुराण का श्रवण और कन्यादान करें, तो निश्चित ही पुत्र की प्राप्ति होगी। यदि पुत्र मर जाता है तो इसी मंत्र में 'देही' के स्थान पर 'रक्षा में तन्यं' ऐसा कहा जाता है, इससे लोगों को सफलता मिलती है और भगवत्कृपा से भी आगे मिलेगी। (सर्वप्रथम किसी भी योग्य ज्योतिषी से अपना : तथा स्त्री जन्मपत्री दिखला लें, यदि पंचम भाव खराब है या मंगादि क्रूर ग्रह बैठे हैं या बन्ध्या, काकबन्ध्या आदि योग हैं तो पुत्र प्राप्ति नहीं ही होगी)
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