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100% RESULTS Guarantee महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जप (1,25,000 बार) करके हवन करना एक अनुष्ठान है, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन में सुख, समृद्धि और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए किया जाता है. यह अनुष्ठान अक्सर ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है और इसके कई लाभ माने जाते हैं, जैसे कि रोग और कष्टों से मुक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति. अनुष्ठान की विधि: 1. जप: महामृत्युंजय मंत्र का 1,25,000 बार जाप किया जाता है। जाप करते समय रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए. 2. हवन: जप पूर्ण होने के बाद, मंत्र के दशांश (1/10) भाग, अर्थात 12,500 बार मंत्र के अंत में "स्वाहा" लगाकर हवन किया जाता है. 3. तर्पण: हवन के दशांश भाग (12,500 बार) मंत्र के अंत में "तर्पयामि" लगाकर तर्पण किया जाता है. 4. मार्जन: तर्पण के दशांश भाग (1,250 बार) मंत्र के अंत में "मार्जयामि" या "अभिसिंचायामि" लगाकर मार्जन किया जाता है. 5. ब्राह्मण भोजन: मार्जन के दशांश भाग (125) ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. अनुष्ठान के लाभ: रोग और कष्टों से मुक्ति: यह अनुष्ठान व्यक्ति को रोग और कष्टों से मुक्ति दिलाता है और उसे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है. दीर्घायु: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है. समृद्धि और शांति: यह अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और शांति लाता है. मन की शांति: अनुष्ठान के बाद व्यक्ति को मन की शांति प्राप्त होती है और वह जीवन में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ता है.
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